लेखक: सोनू पाल
भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में जहां विकास योजनाओं की बातें बड़े मंचों से होती हैं, वहीं सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है। सड़कों का अभाव, एंबुलेंस की पहुंच न होना, गर्भवती महिलाओं की परेशानियां—ये सब आज भी जमीनी सच्चाई हैं। लेकिन कभी-कभी कोई आम नागरिक अपनी आवाज़ को इस तरह उठाता है कि सरकार को झुकना पड़ता है। ऐसी ही एक मिसाल हैं मध्य प्रदेश के सीधी ज़िले की बेटी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर लीला साहू।
HighLights
👩💻 लीला साहू कौन हैं?
लीला साहू मध्य प्रदेश के सीधी ज़िले के एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं। एक सामान्य ग्रामीण महिला होते हुए भी उन्होंने सोशल मीडिया को हथियार बनाकर सरकार से अपने गांव के लिए सड़क की मांग की। लीला सिर्फ एक नाम नहीं, आज ग्रामीण जागरूकता और सोशल मीडिया एक्टिविज्म का प्रतीक बन चुकी हैं। वो खुद गर्भवती हैं और उनके गांव की छह महिलाएं और भी गर्भवती हैं। लेकिन लीला साहू गांव में इतनी खराब सड़कें थीं कि एंबुलेंस भी नहीं पहुंच सकती थी।
🎥 वीडियो से शुरू हुई कहानी
लीला साहू ने जब देखा कि गांव की बदहाल सड़कें गर्भवती महिलाओं के लिए खतरा बन गई हैं, तो उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया। वीडियो में उन्होंने दर्द भरे लहजे में कहा –
“सांसद जी जब रोड नहीं बनाना था तो झूठा वादा क्यूँ किए ?”
“सांसद जी लीला साहू के इस पोस्ट पर बयान देते हैं की जरूरत पड़ने पर हेलिकाप्टर भेज देंगे , क्या मेरे सांसद बनने पर ही तुम्हारी सड़क खराब हो गई
“फिर लीला साहू ने एक विडिओ बनाई जब उसकी प्रसव का समय नजदीक हुआ तब सांसद जी के बयान पर लीला साहू ने कहा – सांसद जी प्लीज हेलिकॉप्टर भेजिए… मुझे दर्द हो रहा है।”
उनकी यह बात व्यंग्य नहीं, एक गंभीर पीड़ा थी। क्योंकि गांव तक एंबुलेंस नहीं आती थी और अस्पताल पहुंचना जीवन-मरण का सवाल बन चुका था।
🔨 सड़क निर्माण की शुरुआत
लीला साहू के संघर्ष और वीडियो के वायरल होने के बाद, सरकार और प्रशासन की नींद खुली। जहां एक साल से कोई सुनवाई नहीं हो रही थी , वहीं कुछ ही दिनों में सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। लीला ने खुद इसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिसमें बुलडोजर सड़क की खुदाई करता दिखा।

🧱 किस सड़क की हो रही है मरम्मत?
लीला साहू का गांव रामपुर नैकिन विकासखंड के अंतर्गत आता है। वहां से बगैया टोला से गजरी तक की सड़क बिल्कुल जर्जर थी। इस रास्ते से सैकड़ों ग्रामीणों का आना-जाना होता है, और एंबुलेंस तक की सुविधा नहीं थी।
🏥 गर्भवती महिलाओं के लिए जीवन रेखा बनी यह सड़क
गांव की यह सड़क अब सिर्फ विकास का प्रतीक नहीं, बल्कि गर्भवती महिलाओं और बीमार ग्रामीणों के लिए जीवन रेखा बन चुकी है।
लीला साहू ने बताया कि –
“हमारे गांव की 6 महिलाएं गर्भवती हैं। उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए कोई साधन नहीं था। अब जब सड़क बनने लगी है, तो हमें राहत मिल रही है।”
🗳️ सियासी गलियारों में बवाल
लीला साहू के वीडियो वायरल होने के बाद सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार पर विपक्ष ने तीखा हमला बोला। सोशल मीडिया पर #VikasKahanHai जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
इसके बाद सीधी के सांसद राजेश मिश्रा का एक विवादित बयान भी चर्चा में आया, जिसने और आग में घी डालने का काम किया। उन्होंने कहा था—
“ये सब नाटक है, कोई दर्द नहीं हो रहा उसे…”
इस बयान ने पूरे मामले को और संवेदनशील बना दिया।
📢 जनता की आवाज़ बनी लीला
लीला ने अपनी आवाज़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नितिन गडकरी, लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, सीधी कलेक्टर, और सांसद राजेश मिश्रा तक पहुंचाई थी। जब कोई रास्ता नहीं सूझा, तो उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म को चुना, और यह एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ।
📡 सोशल मीडिया की ताक़त
इस पूरी घटना से यह साबित हो गया कि सोशल मीडिया महज मनोरंजन या समाचार का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का सशक्त उपकरण बन चुका है।
लीला साहू जैसी आम महिला ने सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार को न केवल जागरूक किया बल्कि जवाबदेह भी बनाया।
🚜 सरकार को चाहिए समय पर प्रतिक्रिया
यह सवाल भी जरूरी है कि जब एक साल पहले ही लीला साहू ने सड़क की मांग की थी, तो उस पर पहले कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या सोशल मीडिया पर वायरल होना अब जरूरी हो गया है? क्या हर ग्रामीण को अपनी समस्याओं का वीडियो बनाकर वायरल करना होगा?
यह सिस्टम की खामियों की ओर इशारा करता है, जिसे दूर करना सरकार की जिम्मेदारी है।
👥 जनता के लिए प्रेरणा
लीला साहू आज लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि –
“अगर इरादे मजबूत हों और दिल में कुछ बदलने की चाह हो, तो एक आम नागरिक भी क्रांति ला सकता है।”
📈 आगे की राह
अब जबकि सड़क निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, यह जरूरी है कि यह कार्य गुणवत्ता और समयसीमा के अनुसार पूरा हो।
- प्रशासन को चाहिए कि वह कार्य की निगरानी करे।
- ग्रामीणों को चाहिए कि वे इस निर्माण की निगरानी में सहभागी बनें।
- सरकार को चाहिए कि वह लीला जैसी आवाजों को नजरअंदाज़ न करे।
📝 निष्कर्ष
लीला साहू की कहानी सिर्फ एक सड़क निर्माण की नहीं है, यह एक आम नागरिक के असाधारण संघर्ष की कहानी है। यह उस भारत की तस्वीर है जो जाग रहा है, बोल रहा है और अपने हक के लिए लड़ रहा है।
लीला साहू ने जो किया, वह हर उस व्यक्ति के लिए उदाहरण है जो सोचता है कि उसकी आवाज़ नहीं सुनी जाती।
लीला साहू की आवाज़ सुनी गई — और उसका असर हुआ।
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